ना जाने क्यों तल्ख़ी,
आ बसी हैं तुममें,
किस बात पे दर्द,
हो रही है तुम्हें।
शायद आपके दिल में दर्द है,
मेरे कहे कुछ लफ़्ज़ से,
पर ये आप क्यों नहीं समझती,
दर्द हैं तो आपको प्यार भी हैं मुझसे।
चलो देखते हैं कब तक नाराज़गी रहेगी आपमें,
कब तक दूरी बना कर रहोगी आप मुझसे,
जिस दिन सच्चाई का अहसास होगा आपको,
दर्द फिर से मिलेगा आपको खोने का मुझे।
कुणाल कुमार
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