तुम कहाँ हों,
खोज रहा तुम्हें मेरा दिल,
पर ये क्यों नहीं समझा दिल बेचारा,
तुम तो बसी हो मेरे दिल।
जैसे सुख दुःख का चक्र अनूठा,
वैसे लगे तेरा साथ कभी सच्चा कभी झूठा,
जब पास आती हो मेरे तो चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है,
और जब दूर जाती हो तो मेरी धड़कन रूठ जाती हैं।
कुणाल कुमार
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