देखो कैसी हैं ये दूरी,
मेरी अजब सी हैं ये मजबूरी,
पल पल सोचे तुझे ही,
पर पास ना होने की हैं मजबूरी,
देखो कैसी ये मेरी मजबूरी,
रहना जो तुमसे बना कर दूरी,
सिर्फ़ दिल के आईने से तूँ देख मुझे,
पास पाओगी मुझे तुम अपने दिल के क़रीब।
देखो कैसी ये मेरी मजबूरी,
मेरी ज़िंदगी है तुम्हारे बिना अधूरी,
पर शायद ये हैं सिर्फ़ मेरी अकेले की मजबूरी,
क्योंकि नहीं समझा पाया तुम्हें मेरे दिल की कहीं।
कुणाल कुमार
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