बहना कुछ हैं कहना,
तुम्हें सच के साथ ही रहना,
चाहे लोग तिरस्कार करे,
या त्रिया चरित्र के साथ रहे।
चाहे हमला ज़ुबानी हो,
कितनी भी लांछन तुमपे उनको लगानी हो,
तुम अडिग अचल रहो सच के पथ पर,
क्योंकि कीचड़ में तुम्हें सच की कमल है खिलानी।
चंद लोग यहाँ स्वार्थ के मारे,
औरत के अस्मिता को यूँ ही उछाले,
जैसे लड़े ये माटी की हैं सिर्फ़ उनकी ठेकेदारी,
बाक़ी सब का तो यहाँ है बेकारी।
कुणाल कुमार
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