इंतज़ार करता दिल मेरा,
मायूस सा होने लगा,
क्या पता वो समझ पाएगी,
दिल तो सिर्फ़ याद में धड़क रही।
रितु बदले बदला सारा जहाँ,
पराए भी हो गए यहाँ अपने,
पर जाने क्यों नहीं समझ पाई हाल ए दिल,
जो जी रहा है प्यार के इंतज़ार में।
सच्चाई ना समझने की ठानी है उसने,
अपनी ही की मनमानी जो उसने,
वो क्या समझेगी इंतज़ार कि घड़ी,
उसने तो प्यार कि महत्व ही नहीं पहचानी।
कुणाल कुमार
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