यहाँ सभी रात काटते हैं,
सुबह के किरण के लिए,
मैं तो इसीलिए सोता हूँ,
ताकि सुबह देख सकूँ तुम्हें।
दिल की बेचैनी हैं सिर्फ़,
तेरे पास ना आने से,
दूर रहकर भी दिल धड़क रहा,
बस तेरे दिए याद के सहारे।
क्या कभी सच समझोगी तुम,
या यूँ रहोगी सिर्फ़ अपने बनाए ख़्वाब में,
खुद को खुशनसीब समझ पाता,
अगर तुम्हारे ख़्वाब में मुझे छोटी सी जगह मिल पाती।
जाने दो दिल कि बातें,
ये तो सिर्फ़ दिल वाले ही समझे,
आपने तो अपनी दिल को पत्थर बना रखा,
और क्या पत्थर पे कभी प्यार भरे फूल खिलते।
कुणाल कुमार
Insta: @madhu.kosh
Telegram: https://t.me/madhukosh
Website: https://madhukosh.com