उन लम्हों को छिपा लूँ,
बनाकर रखूँ दिल में यादगार,
मेरी दुनिया आज भी तुम्हारे कदमों पे है,
पाने को माँ का प्यार।
बचपन में तमन्ना थी दिल में,
बड़ा हो जाऊँ मैं आज कल ही में,
पर ये किधर पता था पीछे छूट जाएगी,
माँ के हाथों से किया दुलार।
व्यस्त जीवन जवानी का,
छूट गया माँ का साथ,
जिन हाथों ने चलना सिखाया,
उनसे ना मिलने का कारण हमने व्यस्तता बताया।
मतलबी बन सब भूल गया,
माँ का आँचल ना जाने कब छूट गया,
पर क्या पाया इस भाग दौड़ भरे जीवन में,
सिर्फ़ तिरस्कार और छूटा हुआ माँ का प्यार।
शायद इसलिए लिख रहा हूँ मैं आज,
याद कर माँ के द्वारा दिया गया प्यार,
गलती की तुम्हें भूल कर माँ,
तुम्हारे प्यार का मैं कर रहा हूँ इंतज़ार।
माँऽऽऽ
कुणाल कुमार
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माँ के प्रति अपने प्रेम की सुन्दर अभिव्यक्ति 👌🏼👌🏼
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धन्यवाद
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