ना जाने क्यों मेरा दिल,
चाहने लगा इस पत्थर दिल परी को,
दिल में चाहत थी उन्हें अपनाने की दिल से,
पर रो रहा दिल लिए दूरी और मजबूरी।
क्यों वो पल होते हैं जीवन में,
जब किसी के चाहत में हम खुद को खो जाते हैं,
सजा मिलती हैं हमें जीने की,
पर खुद से खुद को दूर पाते हैं।
शायद होगी कोई उनकी अपनी ही मजबूरी,
या सोच होगी उनकी थोड़ी सी अधूरी,
जो नहीं समझ पाई मेरे दिल की सच्चाई,
सामने तड़पता रहा मैं और उन्होंने मुझ पर तरस नहीं आई।
कुणाल कुमार
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