नज़र के सामने मैंने,
रिश्ते बिखरते देखा हैं,
सम्भालने की कोशिश तो की मैंने,
पर सम्भालने का मौक़ा नहीं मिला मुझे।
ये मलाल तो रहेगा मुझे,
की बिना बात की सजा हैं मुझे मिली,
नहीं तो रिश्ता में दरार क्यूँ आ गयी हमारे,
या उनका दिल किसी और पे आ गयी।
कितने सुनहरे ख़्वाब देखे मैंने,
साथ देखा तुम्हें अपना हमसफ़र समझकर,
पर शायद तुम्हें मंज़ूर नहीं थी मेरी ख़ुशी,
सो चली मुझे छोड़ ढूँढने को अपनी नयी ख़ुशी।
कुणाल कुमार
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Wahhhh
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धन्यवाद
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