ख़्वाब से भरे बादल में,
जब जुदाई की ग़म है गहराई,
यादों की बिजली कड़क कर,
नयनों से बिना मौसम के बरसात निकल आई।
शायद जीवन रूपी बीज को,
मेरे नसीब के ग़म से करनी थी सिंचाई,
इसीलिए आज मुझे तुम्हारी याद से भरी,
मेरे ख़्वाबों के बादल से नयन भर आई।
कोसता हूँ जीवन के उस प्रहर को,
जब मुलाक़ात हुई मेरे जीवन को मेरे जीवन से,
तुम तो चली गयी किसी और के जीवन में,
मेरे उर्वरक सी जीवन को वीरान बंजर कर के।
कुणाल कुमार
Insta: @madhu.kosh
Telegram: https://t.me/madhukosh
Website: https://madhukosh.com