अहसास से मेरी ज़िंदगी का,
अनोखा सा रिश्ता हैं,
जैसे प्यार तो उनसे करते हैं पर,
अब उनके लिए अहसास दिल में कम रखते हैं।
शायद मेरा बोलना,
अब अच्छा नहीं होगा,
क्योंकि उनके दिल में मेरे लिए,
अब कोई सपना नहीं होगा।
चुप रहना ही,
अब मेरी नियति बन गयी हैं,
क्योंकि झूठ में जीना मुझे गँवारा नहीं,
और सच समझने की उन्हें कोई परवाह नहीं।
कुणाल कुमार
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sad but well written.
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Thanks
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बढ़िया
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धन्यवाद
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