ऐ समय तू ठहर जा ज़रा,
बिखरे यादों को सहेजने दे,
ज़रा मेरे प्यार की कली को,
खिल कर फूल बनने दे।
ऐ समय तू ठहर जा ज़रा,
दरखास्त है तुझसे मेरे दिल की,
अभी तो मिले थे उनसे,
अभी तो सासें भी एक नहीं हुई।
ऐ समय तू ठहर जा ज़रा,
मुझे और थोड़ा जीने दे,
प्यार तो किया उन्हें दिल से,
अब जुदाई का लम्हा भी जीने दे।
ऐ समय तू ठहर जा ज़रा,
मौत बनकर तू पास ना आ,
या तो मुझे मेरा प्यार लौटा,
या उन्हें भूलने की साहस मुझे दे।
कुणाल कुमार
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Umda
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Thank you Madam. I appreciate your comments always and it helps me to keep translating my emotions into kavita.
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