आपके आँखें की ख़ूबसूरती अच्छी लगी,
जो हैं ज़िंदगी की सच्चाई समेटे,
सुनी जो आपके हँसी की खनक,
लगा जैसे समेटे हुए हैं आपके मासूमियत की महक।
आपकी ज़ुल्फ़ें घुंघराली,
जिसमें अटक कर रह गयी है दिल हमारी,
चाहने पर भी दूर नहीं पता खुद को,
दिल आपसे ही प्यार करता रहता हर घड़ी।
शायद आप नहीं समझ पाओगी कभी मुझे,
इसीलिए दूर किया मैंने आपको खुद से,
पर आप थी, हैं और रहोगी मेरे दिल में,
चाहे मैं नहीं रहूँगा कभी आपके दिल में।
कुणाल कुमार
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