तुम्हारे दर्द का अहसास,
मुझसे बेहतर कौन जानेगा,
जो जी रहा हैं तेरे याद में,
तुमसे दूर रहने का दर्द दिल लिए।
शायद ये सोच की दिवार है,
जो दूर रखा है आपको मुझसे,
वैसे तो मैं तैयार था,
और आज भी तैयार हूँ समझने को तुम्हें।
कभी कभी होता हैं,
कुछ लोगों को हम समझते हैं अपने,
पर जो तुम्हें अपने हाल पे छोड़ दे,
उनके लिए तकलीफ़ क्यों है दिल में तेरे।
भी सोचो तुम ज़रा,
शायद सच्चाई हो तुम्हारे खड़ा,
चाहता है तुम्हें सच्चे दिल से,
पर तुम्हें ना जाने क्यों मतलब दिखता है उसमें।
बस इतना करना है आज तुम्हें,
भूल जाओ जो नहीं हैं तुम्हारे अपने,
अब खुद का वजूद बनाओ तुम,
ताकि पराए भी तरसे तुम्हें बनाने को अपने।
कुणाल कुमार
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